पदार्थ
From जैनकोष
सामान्यत: जीव और अजीव के भेद से द्विविध । तत्त्वों में पुण्य और पाप के संयोग से ये नौ प्रकार के हो जाते हैं । इनकी यथार्थ श्रद्धा और ज्ञान से सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान हो जाते हैं । महापुराण 2.118,9.121, 24.127, वीरवर्द्धमान चरित्र 17.2