परात्मा
From जैनकोष
समाधिशतक/ टी.6/225/15 परात्मा संसारिजीवेभ्यः उत्कृष्ट आत्मा। = संसारी में से जो उत्कृष्ट बन जाती है, उसे परात्मा कहते हैं।
समाधिशतक/ टी.6/225/15 परात्मा संसारिजीवेभ्यः उत्कृष्ट आत्मा। = संसारी में से जो उत्कृष्ट बन जाती है, उसे परात्मा कहते हैं।