पान
From जैनकोष
मू.आ./644 पाणाणमणुग्गहं तहा पाणं। ...। 644। = अशनादि चार प्रकार के आहार में-से, जिससे दस प्राणों का उपकार हो वह पान है। 644।
मू.आ./644 पाणाणमणुग्गहं तहा पाणं। ...। 644। = अशनादि चार प्रकार के आहार में-से, जिससे दस प्राणों का उपकार हो वह पान है। 644।