पानक
From जैनकोष
- आहार का एक भेद - देखें आहार - I.1।
भगवती आराधना/700/882 सत्थं बहलं लेवडमलेवडं च ससित्थयमसित्थं। छव्विहपाणयभेयं पाणयपरिकम्मपाओग्गं। 700। = ‘ स्वच्छ (गर्म जल); बहल (इमली का पानी आदि), लेवड़ (जो हाथ को चिपके); अलेवड (जो हाथ को न चिपके - जैसे मांड); ससिक्थ (भात के दानों सहित मांड); और असिक्थ - ऐसा छह प्रकार का पानक आगम में कहा है।