भागचन्दजी
From जैनकोष
कविवर भागचन्दजी :- कविवर भागचन्दजी १९वीं शताब्दी के विद्वानों में अग्रणी रहे हैं । आपका जन्म ईसागढ़ जिला-अशोकनगर (म.प्र.) में हुआ । कविवर भागचन्दजी का संस्कृत और हिन्दी भाषा पर समान अधिकार था । दोनों ही भाषा में आपने अपनी काव्य प्रतिभा से सभी को आश्चर्यचकित किया है । आपके जन्म और निधन की सही तिथियों से समाज अभी तक अनभिज्ञ हैं जो खोज का विषय है । अभी तक आपकी छह रचनाएँ जिनका (प्रणयन सम्वत् १९०७ से १९१३ के मध्य हुआ है ।) प्राप्त हुई हैं जो निम्न हैं - (१) महावीराष्टक (२) उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला वचनिका (३) प्रमाण परीक्षा वचनिका (४) नेमिनाथ पुराण (५) अमितगति श्रावकाचार वचनिका भाषा (६) ज्ञानसूर्योदय (नाटक) आपके द्वारा रचित ८७ भजन अब तक प्रकाश में आए हैं । आप प्रतापगढ़ (मालवा), लश्कर (ग्वालियर) तथा जयपुर (राज.) में भी आजीविका के निमित्त आकर रहे हैं । भजनों को पढ़ने से आपकी काव्य प्रतिभा का दिग्दर्शन होता है ।