भोगिनी
From जैनकोष
(1) एक विद्या । यह स्मरतरंगिणी शय्या पर सोये हुए मनुष्य को उसके इष्ट से मिला देती है । नंदाढ्य को जीवंधर से मिलाने के लिए गंधर्वदत्ता ने इसी विद्या का प्रयोग किया था । महापुराण 75. 432-436
(2) पार्श्वनाथ की छत्रधारिणी देवी पद्मावती । महापुराण 73.1