मार्ग
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
धवला 13/5,5,50/287/9 मृग्यतेऽनेनेति मार्ग: पंथा:। स पंचविध:–नरगतिमार्ग:, तिर्यग्गतिमार्ग: मनुष्यगतिमार्ग:, देवगतिमार्ग:, मोक्षगतिमार्गश्चेति। तत्र एकैको मार्गोऽनेकविधः कृमिकीटादिभेदभिन्नत्वात्। = जिसके द्वारा मार्गण किया जाता है वह मार्ग अर्थात् पथ कहलाता है। वह पांच प्रकार का है–नरकगतिमार्ग, तिर्यंचगतिमार्ग, मनुष्यगतिमार्ग, देवगतिमार्ग और मोक्षगतिमार्ग। उनमें से एक-एक मार्ग कृमि व कीट आदि के भेद से अनेक प्रकार का है।
- उत्सर्ग व अपवाद मार्ग–देखें अपवाद ।
- मोक्षमार्ग―देखें मोक्षमार्ग ।
पुराणकोष से
तालगत गांधर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण - 19.151