मृग
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
धवला 13/5, 5, 140/391/11 रोमंथवर्जितास्तियंचे मृगा नाम । = जो तिर्यंच रोंथते नहीं हैं वे मृग कहलाते हैं ।
पुराणकोष से
जंगली पशु हरिण । ये लतागृहों और वन के भीतरी प्रदेशों में विचरते हैं । समवसरण में ये पशु भी रहते हैं । महापुराण 2.11, 9.54, 19.154, पांडवपुराण 2.247