योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 100
From जैनकोष
देह की स्तुति से आत्मा की स्तुति नहीं होती -
नाचेतने स्तुते देहे स्तुतोsस्ति ज्ञानलक्षण: ।
न कोशे वर्णिते नूनं सायकस्यास्ति वर्णना ।।१००।।
अन्वय :- अचेतने देहे स्तुते ज्ञानलक्षण: (जीव:) स्तुत: न अस्ति यथा कोशे वर्णिते नूनं सायकस्य वर्णना न अस्ति ।
सरलार्थ :- अचेतन देह की स्तुति करने पर जीव की स्तुति नहीं होती; क्योंकि म्यान के सौंदर्य का वर्णन करने से म्यान के भीतर रहनेवाली तलवार का वर्णन नहीं होता ।