योगसार - जीव-अधिकार गाथा 7
From जैनकोष
दर्शन के भेद एवं उसका लक्षण -
चतुर्धा दर्शनं तत्र चक्षुषोsचक्षुषोsवधे:।
के वलस्य च विज्ञेयं वस्तु सामान्य-वेदकम्।।७।।
अन्वय :- तत्र (उपयोगलक्षणे) वस्तु-सामान्य-वेदकं दर्शनम् । (तत्) चक्षुष: अचक्षुष: अवधे: केवलस्य च (भेदात्) चतुर्धा विज्ञेयम् ।
सरलार्थ :- जीव के उपयोगलक्षण में वस्तु-सामान्य का वेदन करनेवाला दर्शनोपयोग है और वह चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन व केवलदर्शन के भेद से चार प्रकार का है ।