योगसार - निर्जरा-अधिकार गाथा 287
From जैनकोष
ज्ञान को जानने से ज्ञानी जीव का ज्ञान होता है -
न ज्ञान-ज्ञानिनोर्भेदो विद्यते सर्वथा यत: ।
ज्ञाने ज्ञाते ततो ज्ञानी ज्ञातो भवति तत्त्वत: ।।२८७ ।।
अन्वय :- यत: ज्ञान-ज्ञानिनो: सर्वथा भेद: न विद्यते । तत: तत्त्वत: ज्ञाने ज्ञाते (सति) ज्ञानी ज्ञात: (इति) भवति ।
सरलार्थ :- क्योंकि ज्ञान और ज्ञानी जीव में सर्वथा भेद विद्यमान नहीं है; इसलिए ज्ञान को जानने से वास्तविक देखा जाय तो ज्ञानी जीव का ही ज्ञान होता है ।