योगसार - मोक्ष-अधिकार गाथा 346
From जैनकोष
विद्वानों का संसार -
संसार: पुत्र-दारादि: पुंसां संूढचेतसाम् ।
संसारो विदुषां शास्त्रमध्यात्मरहितात्मनाम्।।३४६।।
अन्वय :- संूढचेतसां पुंसां पुत्र-दारादि: (एव) संसार: (अस्ति; तथा) अध्यात्मरहितात्मनां विदुषां शास्त्रं संसार: (अस्ति) ।
सरलार्थ :- जो मनुष्य स्त्री-पुत्रादिक परद्रव्य में आसक्त होने से अच्छी तरह मूढचित्त अर्थात् अज्ञानी हैं, उनका संसार स्त्री-पुत्रादिक है । जो विद्वान शास्त्रार्थ को जानते हुए भी अध्यात्म से अर्थात् आत्मलीनता से रहित हैं, उनका संसार शास्त्र है ।