योगसार - संवर-अधिकार गाथा 219
From जैनकोष
संकल्प बिना द्रव्य, गुण, पर्याय इष्टानिष्ट नहीं -
न द्रव्यगुणपर्याया: संप्राप्ता बुद्धिगोचरम् ।
इष्टानिष्टाय जायन्ते संकल्पेन विना कृता: ।।२१९।।
अन्वय :- बुद्धिगोचरं सम्प्राप्ता: द्रव्य-गुण-पर्याया: संकल्पेन विना कृता: इष्ट-अनिष्टाय न जायन्ते ।
सरलार्थ :- संकल्प अर्थात् भ्रान्त कल्पना के बिना विश्वस्थित बुद्धिगोचर संपूर्ण द्रव्य, गुण, पर्यायों में से कोई भी द्रव्य, गुण अथवा पर्याय इष्ट/सुखदायक या अनिष्ट/दु:खदायक नहीं होते अर्थात् नहीं लगते ।