संवेजनीकथा
From जैनकोष
भगवती आराधना व विजयोदयी टीका/657/854 संवेयणी पुण कहा णाणचरित्तं तववीरिय इट्ठिगदा/657/... संवेजनी पुन: कथा ज्ञानचारित्रतपोभावनाजनितशक्तिसंपन्निरूपणपरा। =ज्ञान, चारित्र, तप व वीर्य इनका अभ्यास करने से आत्मा में कैसी-कैसी अलौकिक शक्तियाँ प्रगट होती हैं - इनका खुलासेवार वर्णन करनेवाली कथा को संवेजनी कथा कहते हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें कथा ।