समाचार काल
From जैनकोष
धवला 11/4,2,6,1/76/7 तत्थ सच्चितो-जहा दंसकालो मसयकालो इच्चेवमादि, दंस-मसयाणं चेव उवयारेण कालत्तविहा णादो। अचित्तकालोजहा धूलिकालो चिक्खल्लकालो उण्हकालो बरिसाकालो सीदकालो इच्चेवमादि। मिस्सकालो-तहा सदंस-सीदकालो इच्चेवमादि।...तत्थ लोउत्तरीओ समाचारकालो-जहा वंदणकालो णियमकालो सज्झयकालो झाणकालो इच्चेवमादि। लोगिय-समाचारकालो-जहा कसणकालो लुणणकालो ववणकालो इच्चेवमादि। =उनमें दंश काल, मशक काल इत्यादिक सचित्त काल है, क्योंकि इनमें दंश और मशक के ही उपचार से काल का विधान किया गया है। धूलिकाल, कर्दमकाल, उष्णकाल, वर्षाकाल एवं शीतकाल इत्यादि सब अचित्त काल है। सदंश शीतकाल इत्यादि मिश्रकाल है।...वंदनाकाल, नियमकाल, स्वाध्याय काल व ध्यानकाल आदि लोकोत्तरीय समाचार काल हैं। कर्षण काल, लुनन काल व वपनकाल इत्यादि लौकिक समाचार काल हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें काल - 1.9।