साधन विकल
From जैनकोष
हेतु की सिद्धि में साधनभूत कोई दृष्ट पदार्थ जिससे कि वादी व प्रतिवादी दोनों सम्मत हों, दृष्टांत कहलाता है। और उसको बताने के लिए जिन वचनों का प्रयोग किया जाता है वह उदाहरण कहलाता है। अनुमान ज्ञान में इसका एक प्रमुख स्थान है।
न्यायविनिश्चय/ मूल/2/211/240 संबंधी यत्र निर्ज्ञात: साध्यसाधनधर्मयो:। स दृष्टांतस्तदाभासा: साध्यादिविकलादय:। =जो दृष्टांत न होकर दृष्टांतवत् प्रतीत होवें वे दृष्टांताभास हैं।
न्यायविनिश्चय/ टीका/2/211/240/26 भावार्थ–साधर्म्यदृष्टांताभास नौ प्रकार का है–साध्य विकल, साधन विकल, उभय विकल, संदिग्धसाध्य, संदिग्धसाधन, संदिग्धोभय, अन्वयासिद्ध, अप्रदर्शितान्वय और विपरीतान्वय।
इसी प्रकार वैधर्म्य दृष्टांताभास भी नौ प्रकार का होता है–साध्य विकल, साधन विकल, उभय विकल, संदिग्ध साध्य, संदिग्धसाधन, संदिग्धोभय, अव्यतिरेक, अप्रदर्शित व्यतिरेक, विपरीत व्यतिरेक।
विस्तार के लिये देखें दृष्टांत - 1.8।