सिंधुद्बार
From जैनकोष
सिंधु नदी का द्वार । चक्रवर्ती भरतेश पश्चिम दिशा के समस्त राजाओं को वश में करते हुए वेदिका के किनारे-किनारे चलकर यहाँ आये थे । उन्होंने यहाँ के स्वामी प्रभास देव को अपने अधीन किया था । महापुराण 68.653, हरिवंशपुराण - 11.15-16