सुंदर
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
कुंडल पर्वतस्थ स्फटिक कूट का स्वामी नागेंद्र-देव। देखें लोक - 5.12
पुराणकोष से
(1) एक राजा। इसने तीर्थंकर वासुपूज्य को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे। महापुराण 58.40-41
(2) कुंडलगिरि के उत्तरदिशा संबंधी स्फटिककूट का निवासी एक देव। हरिवंशपुराण - 5.694
(3) भरतक्षेत्र का एक मिथ्यादृष्टि ब्राह्मण। अर्हद्दास के सदुपदेश से यह सम्यक्त्वी हो गया था। अंत में समाधिपूर्वक मरण करके व्रताचरण से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ और स्वर्ग से चयकर राजा श्रेणिक का अभयकुमार नामक पुत्र हुआ। वीरवर्द्धमान चरित्र 19. 170-203