हुंडक संस्थान
From जैनकोष
षट्खंडागम 6/1,9-1/ सूत्र 34/70 जं तं सरीरसंठाणणामकम्मं तं छव्विहं, समचउरससरीरसंठाणणामं णग्गोहपरिमंडलसरीरसंठाणणामं सादियसरीरसंठाणणामं खुज्जसरीरसंठाणणामं वामणसरीरसंठाणणामं हुंडसरीरसंठाणणामं चेदि।=जो शरीर संस्थान नामकर्म है वह छह प्रकार का है - समचतुरस्र शरीर संस्थान नामकर्म, न्यग्रोधपरिमंडल शरीर संस्थान नामकर्म, स्वातिशरीर संस्थान नामकर्म, कुब्जशरीर संस्थान नामकर्म, वामन शरीर संस्थान नामकर्म, और हुंडक शरीर संस्थान नामकर्म।
राजवार्तिक/8/11/8/577/4 सर्वांगोपांगानां हुंडसंस्थितत्वात् हुंडसंस्थाननाम। = सभी अंग और उपांगों का बेतरतीब हुंड की तरह रचना हुंडक संस्थान है।
संस्थानों के बारे में विशेष जानने के लिये देखें संस्थान।