अग्रनिर्वृत्ति क्रिया: Difference between revisions
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यह योगों का निरोध और घाति कर्मों का विनाश करके स्वभाव से होने वाली भगवान् की ऊर्ध्वगमन क्रिया है । <span class="GRef">(महापुराण 38.62, 308-309)</span></p></li></ul> | |||
<ul><li><p class="HindiText"> गर्भान्वय क्रियाओं को विस्तार से जानने के लिये देखें [[ संस्कार#2 | संस्कार - 2]]।</p></li></ul> | |||
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Latest revision as of 12:36, 10 December 2022
गर्भ से लेकर निर्वाण पर्यंत की तिरेपन गर्भान्वय क्रियाओं में अंतिम क्रिया ।
यह योगों का निरोध और घाति कर्मों का विनाश करके स्वभाव से होने वाली भगवान् की ऊर्ध्वगमन क्रिया है । (महापुराण 38.62, 308-309)
गर्भान्वय क्रियाओं को विस्तार से जानने के लिये देखें संस्कार - 2।