अग्रनिर्वृत्ति क्रिया
From जैनकोष
गर्भ से लेकर निर्वाण पर्यंत की तिरेपन गर्भान्वय क्रियाओं में अंतिम क्रिया ।
यह योगों का निरोध और घाति कर्मों का विनाश करके स्वभाव से होने वाली भगवान् की ऊर्ध्वगमन क्रिया है । (महापुराण 38.62, 308-309)
गर्भान्वय क्रियाओं को विस्तार से जानने के लिये देखें संस्कार - 2।