अबंध: Difference between revisions
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<p class="HindiText">1. अबंध का लक्षण-</p><br> | |||
<span class="GRef">गोम्मटसार कर्मकांड/भाषा/644/838</span> <p class="HindiText">वर्तमान काल विषै जहाँ पर नव संबंधी आगामी आयु का बंध होई ... तहाँ बंध कहिये जो आगामी आयु का अतीतकाल विषै बंधन भया, वर्तमान काल विषै भी न हो है ... तहाँ '''अबंध''' कहिये । जहाँ आगामी आयु का पूर्व बंध भया हो और वर्तमान काल विषै बंध न होता हो ... तहाँ उपरतबंध कहिये ।</p> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ बंध#1 | बंध - 1]]। </p><br> | |||
<p class="HindiText">2. अबंध प्रकृतियाँ-</p><br> | |||
<p><span class="GRef"> (पंचसंग्रह / प्राकृत/2/6) </span><span class="PrakritText">वण्ण-रस-गंध-फासा चउ चउ इगि सत्त सम्ममिच्छत्तं। होंति अबंधा बंधण पण पण संघाय सम्मत्तं।6।</span> | |||
<span class="HindiText">= चार वर्ण, चार रस, एक गंध, सात स्पर्श, सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्वप्रकृति, पाँच बंधन और पाँच संघात, ये अठ्ठाईस (28) प्रकृतियाँ '''बंध के अयोग्य''' होती हैं।6।</span></p> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ प्रकृतिबंध#2 | प्रकृतिबंध - 2]]।</p> | |||
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Latest revision as of 12:52, 25 December 2022
1. अबंध का लक्षण-
गोम्मटसार कर्मकांड/भाषा/644/838
वर्तमान काल विषै जहाँ पर नव संबंधी आगामी आयु का बंध होई ... तहाँ बंध कहिये जो आगामी आयु का अतीतकाल विषै बंधन भया, वर्तमान काल विषै भी न हो है ... तहाँ अबंध कहिये । जहाँ आगामी आयु का पूर्व बंध भया हो और वर्तमान काल विषै बंध न होता हो ... तहाँ उपरतबंध कहिये ।
देखें बंध - 1।
2. अबंध प्रकृतियाँ-
(पंचसंग्रह / प्राकृत/2/6) वण्ण-रस-गंध-फासा चउ चउ इगि सत्त सम्ममिच्छत्तं। होंति अबंधा बंधण पण पण संघाय सम्मत्तं।6। = चार वर्ण, चार रस, एक गंध, सात स्पर्श, सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्वप्रकृति, पाँच बंधन और पाँच संघात, ये अठ्ठाईस (28) प्रकृतियाँ बंध के अयोग्य होती हैं।6।
देखें प्रकृतिबंध - 2।