आमर्षौषध ऋद्धि: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <span class="GRef">तिलोयपण्णत्ति/ अधिकार संख्या ४/१०६८ </span><p class=" PrakritText ">रिसिकरचरणादीणं अल्लियमेत्तम्मि। जीए पासम्मि। जीवा होंति णिरोगा सा अम्मरिसोसही रिद्धी ।१०६८। </p> | ||
<p class="HindiText">= जिस ऋद्धि के प्रभाव से जीव पास में आने पर ऋषि के हस्त व पादादि के स्पर्शमात्र से ही निरोग हो जाते हैं, वह `'''आमर्षौषध'''' ऋद्धि है ।१०६८। </p> | |||
<p class="HindiText">अन्य ऋद्धियों के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें [[ ऋद्धि#7 |ऋद्धि 7 ]]।</p> | |||
Line 9: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 12:38, 7 March 2023
तिलोयपण्णत्ति/ अधिकार संख्या ४/१०६८
रिसिकरचरणादीणं अल्लियमेत्तम्मि। जीए पासम्मि। जीवा होंति णिरोगा सा अम्मरिसोसही रिद्धी ।१०६८।
= जिस ऋद्धि के प्रभाव से जीव पास में आने पर ऋषि के हस्त व पादादि के स्पर्शमात्र से ही निरोग हो जाते हैं, वह `आमर्षौषध' ऋद्धि है ।१०६८।
अन्य ऋद्धियों के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें ऋद्धि 7 ।