आमर्षौषध ऋद्धि
From जैनकोष
तिलोयपण्णत्ति/ अधिकार संख्या ४/१०६८
रिसिकरचरणादीणं अल्लियमेत्तम्मि। जीए पासम्मि। जीवा होंति णिरोगा सा अम्मरिसोसही रिद्धी ।१०६८।
= जिस ऋद्धि के प्रभाव से जीव पास में आने पर ऋषि के हस्त व पादादि के स्पर्शमात्र से ही निरोग हो जाते हैं, वह `आमर्षौषध' ऋद्धि है ।१०६८।
अन्य ऋद्धियों के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें ऋद्धि 7 ।