कार्य परमात्मा: Difference between revisions
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<p class="HindiText">परमात्मा या ईश्वर प्रत्येक मानव का एक काल्पनिक बना हुआ है। वास्तव में ये दोनों शब्द शुद्धात्मा के लिए प्रयोग किये जाते हैं। वह शुद्धात्मा भी दो प्रकार से जाना जाता है - एक कारणरूप और दूसरा कार्यरूप। कारण परमात्मा देशकालावच्छिन्न शुद्ध चेतन सामान्य तत्त्व है, जो मुक्त व संसारी तथा चींटी व मनुष्य सब में अन्वय रूप से पाया जाता है। और '''कार्यपरमात्मा''' वह मुक्तात्मा है, जो पहले संसारी था, पीछे कर्म काट कर मुक्त हुआ। अतः कारणपरमात्मा अनादि व कार्यपरमात्मा सादि होता है। </p> <br> | |||
<span class="GRef"> नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/7 </span><span class="SanskritText"> निजकारणपरमात्माभावनोत्पन्नकार्यपरमात्मा स एव भगवान् अर्हन् परमेश्वरः।</span> = <span class="HindiText">निज कारणपरमात्मा की भावना से उत्पन्न '''कार्यपरमात्मा''', वही अर्हंत परमेश्वर हैं। अर्थात् परमात्मा के दो प्रकार हैं - कारणपरमात्मा और कार्य परमात्मा। </span> | |||
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Latest revision as of 13:57, 13 March 2023
परमात्मा या ईश्वर प्रत्येक मानव का एक काल्पनिक बना हुआ है। वास्तव में ये दोनों शब्द शुद्धात्मा के लिए प्रयोग किये जाते हैं। वह शुद्धात्मा भी दो प्रकार से जाना जाता है - एक कारणरूप और दूसरा कार्यरूप। कारण परमात्मा देशकालावच्छिन्न शुद्ध चेतन सामान्य तत्त्व है, जो मुक्त व संसारी तथा चींटी व मनुष्य सब में अन्वय रूप से पाया जाता है। और कार्यपरमात्मा वह मुक्तात्मा है, जो पहले संसारी था, पीछे कर्म काट कर मुक्त हुआ। अतः कारणपरमात्मा अनादि व कार्यपरमात्मा सादि होता है।
नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/7 निजकारणपरमात्माभावनोत्पन्नकार्यपरमात्मा स एव भगवान् अर्हन् परमेश्वरः। = निज कारणपरमात्मा की भावना से उत्पन्न कार्यपरमात्मा, वही अर्हंत परमेश्वर हैं। अर्थात् परमात्मा के दो प्रकार हैं - कारणपरमात्मा और कार्य परमात्मा।
देखें परमात्मा ।