कूटलेख क्रिया: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/26/366/9 </span><span class="SanskritText">अन्येनानुक्तमननुष्ठितं यत्किंचित्परप्रयोगवशादेवं तेनोक्तमनुष्ठितमिति वंचनानिमित्तं लेखनं '''कूटलेखक्रिया'''।</span>=<span class="HindiText">दूसरे ने तो कुछ कहा और न कुछ किया तो भी अन्य किसी की प्रेरणा से उसने ऐसा कहा है और ऐसा किया है इस प्रकार छल से लिखना '''कूटलेख क्रिया''' है।</span> | |||
<span class="HindiText"> देखें [[ क्रिया#3 | क्रिया - 3]]।</span> | |||
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Latest revision as of 14:54, 24 March 2023
सर्वार्थसिद्धि/7/26/366/9 अन्येनानुक्तमननुष्ठितं यत्किंचित्परप्रयोगवशादेवं तेनोक्तमनुष्ठितमिति वंचनानिमित्तं लेखनं कूटलेखक्रिया।=दूसरे ने तो कुछ कहा और न कुछ किया तो भी अन्य किसी की प्रेरणा से उसने ऐसा कहा है और ऐसा किया है इस प्रकार छल से लिखना कूटलेख क्रिया है।
देखें क्रिया - 3।