कूटलेख क्रिया
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/7/26/366/9 अन्येनानुक्तमननुष्ठितं यत्किंचित्परप्रयोगवशादेवं तेनोक्तमनुष्ठितमिति वंचनानिमित्तं लेखनं कूटलेखक्रिया।=दूसरे ने तो कुछ कहा और न कुछ किया तो भी अन्य किसी की प्रेरणा से उसने ऐसा कहा है और ऐसा किया है इस प्रकार छल से लिखना कूटलेख क्रिया है।
देखें क्रिया - 3।