पद्मप्रभ: Difference between revisions
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<p class="HindiText">म. पु./52 श्लोवक धातकीखण्डर के पूर्वविदेह में वत्सहका देश की सुसीमानगरी के अपराजित राजा थे (2-3)। फिर उपरिम ग्रैवेयक के प्रीतिंकरविमान में अहमिन्द्रे हुए (12-14)। वर्तमान भव में छठे तीर्थंकर हुए हैं। विशेष | {{TirthankarInfo | ||
|title = | |||
|image = | |||
| Tirthankar-Number = 6 | |||
| Tirthankar-Name = पद्मप्रभु | |||
| PurvManushyaBhav = अपराजित | |||
| PurvManushyaBhavTitle = मण्डलेश्वर | |||
| PurvManushyaBhavFather = सीमन्धर | |||
| PurvManushyaBhavCity = धात.वि.सुसीमा | |||
| PurvDevBhav = ऊ.ग्रैवेयक | |||
| BirthCity = कौशाम्बी | |||
| Chihn = कमल | |||
| Yaksha = मातङ्ग | |||
| Yakshini = अप्रतिचक्रेश्वरी | |||
| Father = धरण | |||
| Mother = सुसीमा | |||
| Vansh = इक्ष्वाकु | |||
| GarbhDate = माघ कृष्ण 6 | |||
| Garbh-Nakshatra = चित्रा | |||
| Garbh-Period = प्रात: | |||
| BirthDate = कार्तिक कृष्ण 13 | |||
| Birth-Nakshatra = चित्रा | |||
| Birth-Yog = त्वष्ट्रयोग | |||
| Height = 250 धनुष | |||
| Color = रक्त | |||
| VairagyaReason = जातिस्मरण | |||
| Diksha-Date = कार्तिक कृष्ण 13 | |||
| Diksha-Nakshatra = चित्रा | |||
| Diksha-Period = अपराह्न | |||
| Diksha-Upvaas = तृतीय भक्त | |||
| Diksha-Van = मनोहर | |||
| Diksha-Vruksha = प्रियङ्गु | |||
| Diksha-Sah-Dikshit = 1000 | |||
| Keval-Date = वैशाख शुक्ल 10 | |||
| Keval-Nakshatra = चित्रा | |||
| Keval-Period = अपराह्न | |||
| Keval-Place = कौशाम्बी | |||
| Keval-Forest = मनोहर | |||
| Keval-Vruksha = प्रियंगु | |||
| Samavasharan-Length = 9 1/2 योजन | |||
| Yog-Nivrutti-Period = 1 मास पूर्व | |||
| Nirvaan-Date = फाल्गुन कृष्ण 4 | |||
| Nirvaan-Nakshatra = चित्रा | |||
| Nirvaan-Period = अपराह्न | |||
| Nirvaan-Place = सम्मेद | |||
| Sah-Mukt = 324 | |||
| Purvdhaari = 2300 | |||
| Shikshak = 269000 | |||
| Avadhigyaani = 10000 | |||
| Kevali = 12000 | |||
| Vikriyadhaari = 16800 | |||
| Manahparyaygyaani = 10300 | |||
| Vaadi = 9600 | |||
| All-Rishi-Count = 330000 | |||
| Gandhar-Count = 111 | |||
| Ganadhar-Main = चमर | |||
| Aaryika-Count = 420000 | |||
| Aaryika-Main = रतिषेणा | |||
| Shraavak-Count = | |||
| Shraavika-Count = 500000 | |||
| Life = 30 लाख पूर्व | |||
| Kumaar-Period = 7.5 लाख पूर्व | |||
| Raja-Vishesh = मण्डलीक | |||
| Rajya-Duration = 21.5 लाख पूर्व+16 पूर्वांग | |||
| Chhadmath-Duration = 6 मास | |||
| Kevali-Kaal = 1 लाख पू..–(16 पूर्वांग 6 मास) | |||
| Janm-Gap = 90,000 करोड़ सागर +10 लाख पू. | |||
| Keval-Gap = 9000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग 8 1/2 वर्ष | |||
| Nirvaan-Gap = 9000 करोड़ सागर | |||
| Tirth-Kaal = 9,000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग | |||
| Tirth-Gap = ❌ | |||
| Chakravarti = ❌ | |||
| Baldev = ❌ | |||
| Narayan = ❌ | |||
| Pratinarayan = ❌ | |||
| Rudra = ❌ | |||
| Shrota-Main = धर्मवीर्य | |||
}} | |||
<p class="HindiText">म. पु./52 श्लोवक धातकीखण्डर के पूर्वविदेह में वत्सहका देश की सुसीमानगरी के अपराजित राजा थे (2-3)। फिर उपरिम ग्रैवेयक के प्रीतिंकरविमान में अहमिन्द्रे हुए (12-14)। वर्तमान भव में छठे तीर्थंकर हुए हैं। विशेष परिचय—देखें तीर्थंकर/5।</p> | |||
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Latest revision as of 11:43, 19 April 2023
सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक | 6 |
---|---|
चिह्न | कमल |
पिता | धरण |
माता | सुसीमा |
वंश | इक्ष्वाकु |
उत्सेध (ऊँचाई) | 250 धनुष |
वर्ण | रक्त |
आयु | 30 लाख पूर्व |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव | अपराजित |
---|---|
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे | मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता | सीमन्धर |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर | धात.वि.सुसीमा |
पूर्व भव की देव पर्याय | ऊ.ग्रैवेयक |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि | माघ कृष्ण 6 |
---|---|
गर्भ-नक्षत्र | चित्रा |
गर्भ-काल | प्रात: |
जन्म तिथि | कार्तिक कृष्ण 13 |
जन्म नगरी | कौशाम्बी |
जन्म नक्षत्र | चित्रा |
योग | त्वष्ट्रयोग |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण | जातिस्मरण |
---|---|
दीक्षा तिथि | कार्तिक कृष्ण 13 |
दीक्षा नक्षत्र | चित्रा |
दीक्षा काल | अपराह्न |
दीक्षोपवास | तृतीय भक्त |
दीक्षा वन | मनोहर |
दीक्षा वृक्ष | प्रियङ्गु |
सह दीक्षित | 1000 |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि | वैशाख शुक्ल 10 |
---|---|
केवलज्ञान नक्षत्र | चित्रा |
केवलोत्पत्ति काल | अपराह्न |
केवल स्थान | कौशाम्बी |
केवल वन | मनोहर |
केवल वृक्ष | प्रियंगु |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल | 1 मास पूर्व |
---|---|
निर्वाण तिथि | फाल्गुन कृष्ण 4 |
निर्वाण नक्षत्र | चित्रा |
निर्वाण काल | अपराह्न |
निर्वाण क्षेत्र | सम्मेद |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार | 9 1/2 योजन |
---|---|
सह मुक्त | 324 |
पूर्वधारी | 2300 |
शिक्षक | 269000 |
अवधिज्ञानी | 10000 |
केवली | 12000 |
विक्रियाधारी | 16800 |
मन:पर्ययज्ञानी | 10300 |
वादी | 9600 |
सर्व ऋषि संख्या | 330000 |
गणधर संख्या | 111 |
मुख्य गणधर | चमर |
आर्यिका संख्या | 420000 |
मुख्य आर्यिका | रतिषेणा |
मुख्य श्रोता | धर्मवीर्य |
श्राविका संख्या | 500000 |
यक्ष | मातङ्ग |
यक्षिणी | अप्रतिचक्रेश्वरी |
आयु विभाग
आयु | 30 लाख पूर्व |
---|---|
कुमारकाल | 7.5 लाख पूर्व |
विशेषता | मण्डलीक |
राज्यकाल | 21.5 लाख पूर्व+16 पूर्वांग |
छद्मस्थ काल | 6 मास |
केवलिकाल | 1 लाख पू..–(16 पूर्वांग 6 मास) |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल | 90,000 करोड़ सागर +10 लाख पू. |
---|---|
केवलोत्पत्ति अन्तराल | 9000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग 8 1/2 वर्ष |
निर्वाण अन्तराल | 9000 करोड़ सागर |
तीर्थकाल | 9,000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग |
तीर्थ व्युच्छित्ति | ❌ |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष | |
चक्रवर्ती | ❌ |
बलदेव | ❌ |
नारायण | ❌ |
प्रतिनारायण | ❌ |
रुद्र | ❌ |
म. पु./52 श्लोवक धातकीखण्डर के पूर्वविदेह में वत्सहका देश की सुसीमानगरी के अपराजित राजा थे (2-3)। फिर उपरिम ग्रैवेयक के प्रीतिंकरविमान में अहमिन्द्रे हुए (12-14)। वर्तमान भव में छठे तीर्थंकर हुए हैं। विशेष परिचय—देखें तीर्थंकर/5।