पद्मप्रभमलधारीदेव
From जैनकोष
वीरनन्दि के शिष्यत। कृतियें—पार्श्वकनाथ स्तोात्र, नियमसार टीका। समय–वि. 1242 में स्वेर्गवास हुआ, अत: वि. श. 13 का द्वि. चरण (ई. 1140-1185)। (जै./2/191); (ती./3/147)।
वीरनन्दि के शिष्यत। कृतियें—पार्श्वकनाथ स्तोात्र, नियमसार टीका। समय–वि. 1242 में स्वेर्गवास हुआ, अत: वि. श. 13 का द्वि. चरण (ई. 1140-1185)। (जै./2/191); (ती./3/147)।