चारित्र लब्धि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> लब्धिसार/मूल /168, 184 </span><span class="PrakritText">दुविहा चरित्तलद्धी देसे सयले य ...।168। अवरवरदेशलद्वी। ...।184। </span>= <span class="HindiText">'''चारित्र लब्धि''' दो प्रकार है - देश व सकल।168। देशलब्धि जघन्य उत्कृष्ट के भेद से दो प्रकार है।184।<br /> | |||
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<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ लब्धि ]]। </span> | |||
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Latest revision as of 09:09, 30 June 2023
लब्धिसार/मूल /168, 184 दुविहा चरित्तलद्धी देसे सयले य ...।168। अवरवरदेशलद्वी। ...।184। = चारित्र लब्धि दो प्रकार है - देश व सकल।168। देशलब्धि जघन्य उत्कृष्ट के भेद से दो प्रकार है।184।
अधिक जानकारी के लिये देखें लब्धि ।