देशघाती प्रकृति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा 34/99</span> <p class="SanskritText">सर्वप्रकारेणात्मगुणप्रच्छादिकाः कर्मशक्तयः सर्वघातिस्पर्द्धकानि भण्यंते, विवक्षितैकदेशेनात्मगुणप्रच्छादिकाः शक्तयो देशघातिस्पर्द्धकानि भण्यंते। </p> | |||
<p class="HindiText">= सर्वप्रकार से आत्मगुणप्रच्छादक कर्मों की शक्तियाँ सर्वघाती स्पर्धक कहे जाते हैं और विवक्षित एकदेश रूप से आत्मगुणप्रच्छादक शक्तियाँ '''देशघाती''' '''स्पर्द्धक''' कहे जाते हैं।</p><br> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ अनुभाग#4 |अनुभाग 4 ]]</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ देशक्रम | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ देशघाती स्पर्धक | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: द]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 09:47, 2 August 2023
द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा 34/99
सर्वप्रकारेणात्मगुणप्रच्छादिकाः कर्मशक्तयः सर्वघातिस्पर्द्धकानि भण्यंते, विवक्षितैकदेशेनात्मगुणप्रच्छादिकाः शक्तयो देशघातिस्पर्द्धकानि भण्यंते।
= सर्वप्रकार से आत्मगुणप्रच्छादक कर्मों की शक्तियाँ सर्वघाती स्पर्धक कहे जाते हैं और विवक्षित एकदेश रूप से आत्मगुणप्रच्छादक शक्तियाँ देशघाती स्पर्द्धक कहे जाते हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें अनुभाग 4