देशक्रम
From जैनकोष
स्याद्वादमंजरी/5/33/20 नानादेशकालव्याप्तिदेशक्रम: कालक्रमश्च।=अनेक देशों में रहने वाला देशक्रम और अनेक कालों में रहने वाला कालक्रम।
स्याद्वादमंजरी/5/33/20 देशक्रम: कालक्रमश्चाभिधीयते न चैकांतविनाशिनि सास्ति।=सर्वथा अनित्य पदार्थ में देशक्रम और कालक्रम नहीं हो सकता।
अधिक जानकारी के लिये देखें क्रम - 1।