अनिःसृत: Difference between revisions
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मतिज्ञान का एक भेद - < | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/1/16/112/7 </span><span class="SanskritText">अनि:सृतग्रहणं असकलपुद्गलोद्गमार्थम्।</span> = <span class="HindiText">(अनि:सृत अर्थात् ईषत् नि:सृत) कुछ प्रगट और कुछ अप्रगट, इस प्रकार वस्तु के कुछ भागों का ग्रहण होना और कुछ का न होना, '''अनि:सृत''' अवग्रह है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/1/16/11/63/18 )</span>।</span><br /> | ||
[[Category:अ]] | <span class="GRef"> राजवार्तिक/1/16/16/64/4 </span><span class="SanskritText"> सुविशुद्धश्रोत्रादिपरिणामात् साकल्येनानुचारितस्य ग्रहणात् अनि:सृतमवगृह्णाति। नि:सृतं प्रतीतम्।</span> =<span class="HindiText"> क्षयोपशम की विशुद्धि में पूरे वाक्य का उच्चारण न होने पर भी उसका ज्ञान कर लेना '''अनि:सृत अवग्रह''' है और क्षयोपशम की न्यूनता में पूरे रूप से उच्चारित शब्द का ही ज्ञान करना नि:सृत अवग्रह है। </span><br /> | ||
<p class="HindiText">मतिज्ञान का एक भेद - देखें [[ मतिज्ञान#4.8 | मतिज्ञान - 4.8]]।</p> | |||
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सर्वार्थसिद्धि/1/16/112/7 अनि:सृतग्रहणं असकलपुद्गलोद्गमार्थम्। = (अनि:सृत अर्थात् ईषत् नि:सृत) कुछ प्रगट और कुछ अप्रगट, इस प्रकार वस्तु के कुछ भागों का ग्रहण होना और कुछ का न होना, अनि:सृत अवग्रह है। ( राजवार्तिक/1/16/11/63/18 )।
राजवार्तिक/1/16/16/64/4 सुविशुद्धश्रोत्रादिपरिणामात् साकल्येनानुचारितस्य ग्रहणात् अनि:सृतमवगृह्णाति। नि:सृतं प्रतीतम्। = क्षयोपशम की विशुद्धि में पूरे वाक्य का उच्चारण न होने पर भी उसका ज्ञान कर लेना अनि:सृत अवग्रह है और क्षयोपशम की न्यूनता में पूरे रूप से उच्चारित शब्द का ही ज्ञान करना नि:सृत अवग्रह है।
मतिज्ञान का एक भेद - देखें मतिज्ञान - 4.8।