अनिःसरणात्मक तैजस शरीर
From जैनकोष
राजवार्तिक/2/49/8/153/15
औदारिकवैक्रियिकाहारकदेहाभ्यंतरस्थं देहस्य दीर्तिहेतुरनि:सरणात्मकम् ।
= औदारिक, वैक्रियिक और आहारक शरीर में रौनक लाने वाला अनि:सरणात्मक तैजस है।
धवला 14/5, 6, 240/328/8
जं तमणिस्सरणप्पयं तेजइयसरीरं तं भुत्तण्णपाणप्पाचयं होदूण अच्छदि अंतो ।
= जो अनि:सरणात्मक तैजस शरीर है वह भुक्त अन्नपान का पाचक होकर भीतर स्थित रहता है।
- देखें तैजस - 1।