कुशसेन: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> चक्रवर्ती भरत के पूर्वभव के जीव राजकुमार पीठ के गुरु । पीठ मरकर सर्वार्थसिद्धि स्वर्ग में देव हुआ और वहाँ से चयकर भरत हुआ । </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 124-126 </span> | <span class="HindiText"> चक्रवर्ती भरत के पूर्वभव के जीव राजकुमार पीठ के गुरु । पीठ मरकर सर्वार्थसिद्धि स्वर्ग में देव हुआ और वहाँ से चयकर भरत हुआ । </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#124|पद्मपुराण - 20.124-126]] </span> | ||
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चक्रवर्ती भरत के पूर्वभव के जीव राजकुमार पीठ के गुरु । पीठ मरकर सर्वार्थसिद्धि स्वर्ग में देव हुआ और वहाँ से चयकर भरत हुआ । पद्मपुराण - 20.124-126