गुणनाम: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 1/1,1,1/17/5 </span><span class="PrakritText">तत्थ णिमित्तं चउव्विहं, जाइ-दव्व–गुण-किरिया चेदि। ...दव्वं दुविहं, संयोगदव्वं समवायदव्वं चेदि। ...ण च ...अण्ण णिमित्तंतरमत्थि।</span> =<span class="HindiText">'''नाम''' या संज्ञा के चार निमित्त होते हैं–जाति, द्रव्य, '''गुण''' और क्रिया। (उसमें भी) द्रव्य निमित्त के दो भेद हैं–संयोग द्रव्य और समवाय द्रव्य। (अर्थात् नाम या शब्द चार प्रकार के हैं–जातिवाचक, द्रव्यवाचक, गुणवाचक और क्रियावाचक) इन चार के अतिरिक्त अन्य कोई निमित्त नहीं है। <span class="GRef">( श्लोकवार्तिक 2/1/5/ श्लोक 2-10/169)</span><br> | |||
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धवला 1/1,1,1/17/5 तत्थ णिमित्तं चउव्विहं, जाइ-दव्व–गुण-किरिया चेदि। ...दव्वं दुविहं, संयोगदव्वं समवायदव्वं चेदि। ...ण च ...अण्ण णिमित्तंतरमत्थि। =नाम या संज्ञा के चार निमित्त होते हैं–जाति, द्रव्य, गुण और क्रिया। (उसमें भी) द्रव्य निमित्त के दो भेद हैं–संयोग द्रव्य और समवाय द्रव्य। (अर्थात् नाम या शब्द चार प्रकार के हैं–जातिवाचक, द्रव्यवाचक, गुणवाचक और क्रियावाचक) इन चार के अतिरिक्त अन्य कोई निमित्त नहीं है। ( श्लोकवार्तिक 2/1/5/ श्लोक 2-10/169)
देखें नाम ।