नघुष: Difference between revisions
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( पद्मपुराण/22/ श्लोक) हिरण्यगर्भ का पुत्र तथा सुकौशल का पोता | <span class="GRef">( पद्मपुराण/22/श्लोक )</span> हिरण्यगर्भ का पुत्र तथा सुकौशल का पोता था।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#113|113]]) शत्रु को वश करने के कारण इसे सुदास भी कहते थे।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#131|131]]) मांसभक्षी बन गया। रसोइये ने मरे हुए बच्चे का मांस खिला दिया।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#138|138]]) नरमांस खाने का व्यसनी हो जाने से अंत में रसोइये को ही खा गया।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#146|146]]) प्रजा ने विद्रोह करके देश से निकाल दिया। तब अणुव्रत धारण किये।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#148|148]]) राजा का पटबंध हाथी उसे उठाकर ले गया, जिस कारण उसे पुन: राज्यपद मिला।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#149|149]]) फिर उसने अपने पुत्र को जीतकर, समस्त राज्य उसी को सौंप स्वयं दीक्षा धारण कर ली।([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#152|152]]) | ||
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Latest revision as of 22:21, 17 November 2023
( पद्मपुराण/22/श्लोक ) हिरण्यगर्भ का पुत्र तथा सुकौशल का पोता था।(113) शत्रु को वश करने के कारण इसे सुदास भी कहते थे।(131) मांसभक्षी बन गया। रसोइये ने मरे हुए बच्चे का मांस खिला दिया।(138) नरमांस खाने का व्यसनी हो जाने से अंत में रसोइये को ही खा गया।(146) प्रजा ने विद्रोह करके देश से निकाल दिया। तब अणुव्रत धारण किये।(148) राजा का पटबंध हाथी उसे उठाकर ले गया, जिस कारण उसे पुन: राज्यपद मिला।(149) फिर उसने अपने पुत्र को जीतकर, समस्त राज्य उसी को सौंप स्वयं दीक्षा धारण कर ली।(152)