वीर्य लब्धि: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/5 </span><span class="SanskritText">लब्ध्यः ... पंच (क्षायोपशमिक्य: दानलब्धिर्लाभलब्धिर्भोगलब्धिरुपभोगलब्धिर्वीर्यलब्धिश्चेति। <span class="GRef"> राजवार्तिक )</span>।</span> = <span class="HindiText">पाँच लब्धि होती हैं - (दानलब्धि, लाभलब्धि, भोगलब्धि, उपभोगलब्धि, और '''वीर्यलब्धि'''। ये पाँच लब्धियाँ दानांतराय आदि के क्षयोपशम से होती हैं। </span><br /> | |||
[[ | <p class="HindiText">देखें [[ लब्धि#1 | लब्धि - 1]]।</p> | ||
[[Category:व]] | <noinclude> | ||
[[ वीर्य प्रवाद | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ वीर्यदंष्ट्र | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
तत्त्वार्थसूत्र/2/5 लब्ध्यः ... पंच (क्षायोपशमिक्य: दानलब्धिर्लाभलब्धिर्भोगलब्धिरुपभोगलब्धिर्वीर्यलब्धिश्चेति। राजवार्तिक )। = पाँच लब्धि होती हैं - (दानलब्धि, लाभलब्धि, भोगलब्धि, उपभोगलब्धि, और वीर्यलब्धि। ये पाँच लब्धियाँ दानांतराय आदि के क्षयोपशम से होती हैं।
देखें लब्धि - 1।