कांचनपुर: Difference between revisions
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<li>विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर—देखें [[ विद्याधर ]]। </li> | <li>विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर—देखें [[ विद्याधर#4 | विद्याधर 4 ]]। </li> | ||
<li> कलिंग देश का एक नगर—देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]। </li> | <li> कलिंग देश का एक नगर—देखें [[ मनुष्य#4.7 | मनुष्य - 4.7]]। </li> | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<span class="HindiText"> (1) कलिंग देश का एक नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 24.11 </span></br><span class="HindiText">(2) विजयार्ध पर्वत को उत्तरश्रेणी का एक नगर । उत्तरदिशा का लोकपाल कुबेर इसका रक्षक था । राम-रावण युद्ध के समय यहाँ का स्वामी रावण की सहायता के लिए आया था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 47.78 </span>, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 7.212-213, 55.84-88, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.88 </span></br><span class="HindiText">(3) विदेह का एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 47.78 </span> | <span class="HindiText"> (1) कलिंग देश का एक नगर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_24#11|हरिवंशपुराण - 24.11]] </span></br><span class="HindiText">(2) विजयार्ध पर्वत को उत्तरश्रेणी का एक नगर । उत्तरदिशा का लोकपाल कुबेर इसका रक्षक था । राम-रावण युद्ध के समय यहाँ का स्वामी रावण की सहायता के लिए आया था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 47.78 </span>, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_7#212|पद्मपुराण - 7.212-213]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_55#84|पद्मपुराण - 55.84-88]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#88|हरिवंशपुराण - 22.88]] </span></br><span class="HindiText">(3) विदेह का एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 47.78 </span> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर—देखें विद्याधर 4 ।
- कलिंग देश का एक नगर—देखें मनुष्य - 4.7।
पुराणकोष से
(1) कलिंग देश का एक नगर । हरिवंशपुराण - 24.11
(2) विजयार्ध पर्वत को उत्तरश्रेणी का एक नगर । उत्तरदिशा का लोकपाल कुबेर इसका रक्षक था । राम-रावण युद्ध के समय यहाँ का स्वामी रावण की सहायता के लिए आया था । महापुराण 47.78 , पद्मपुराण - 7.212-213,पद्मपुराण - 55.84-88, हरिवंशपुराण - 22.88
(3) विदेह का एक नगर । महापुराण 47.78