कुरुवंश: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> वृषभदेव ने क्षत्रिय सोमप्रभ को बुलाकर उसे महामांडलिक राजा बनाया था । यही सोमप्रभ वृषभदेव से कुरुराज नाम पाकर कुरु देश का प्रथम राजा हुआ । इसकी वंश-परंपरा में ही शांति कुंथु और अर ये तीन तीर्थंकर हुए । इसी वंश में अनेक राजाओं के शासन के पश्चात् राजा धृत का पुत्र धृतराज हुआ । इसकी तीन रानियां थी । अंबिका, अंबालिका और अंबा । इनमें अंबिका से धृतराष्ट्र, अंबालिका से पांडु और अंबा से विदुर उत्पन्न हुए । राजा धृतराष्ट्र के दुर्योधन आदि सौ पुत्र थे । ये कौरव कहलाये और राजा पांडु के युधिष्ठिर आदि पांच पुत्र थे । कौरव होते हुए भी ये पांडव कहलाये । राज्य को लेकर पांडव और कौरवों में परस्पर विरोध हो गया । फलत: यह राज्य दो भागों में विभाजित हो गया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.1-7, 32-40, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.2-10 </span> | <span class="HindiText"> वृषभदेव ने क्षत्रिय सोमप्रभ को बुलाकर उसे महामांडलिक राजा बनाया था । यही सोमप्रभ वृषभदेव से कुरुराज नाम पाकर कुरु देश का प्रथम राजा हुआ । इसकी वंश-परंपरा में ही शांति कुंथु और अर ये तीन तीर्थंकर हुए । इसी वंश में अनेक राजाओं के शासन के पश्चात् राजा धृत का पुत्र धृतराज हुआ । इसकी तीन रानियां थी । अंबिका, अंबालिका और अंबा । इनमें अंबिका से धृतराष्ट्र, अंबालिका से पांडु और अंबा से विदुर उत्पन्न हुए । राजा धृतराष्ट्र के दुर्योधन आदि सौ पुत्र थे । ये कौरव कहलाये और राजा पांडु के युधिष्ठिर आदि पांच पुत्र थे । कौरव होते हुए भी ये पांडव कहलाये । राज्य को लेकर पांडव और कौरवों में परस्पर विरोध हो गया । फलत: यह राज्य दो भागों में विभाजित हो गया । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#1|हरिवंशपुराण - 45.1-7]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#32|हरिवंशपुराण - 45.32-40]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.2-10 </span> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- पुराण की अपेक्षा कुरुवंश–देखें इतिहास - 10.5।
- इतिहास की अपेक्षा कुरुवंश–देखें इतिहास - 3.2।
पुराणकोष से
वृषभदेव ने क्षत्रिय सोमप्रभ को बुलाकर उसे महामांडलिक राजा बनाया था । यही सोमप्रभ वृषभदेव से कुरुराज नाम पाकर कुरु देश का प्रथम राजा हुआ । इसकी वंश-परंपरा में ही शांति कुंथु और अर ये तीन तीर्थंकर हुए । इसी वंश में अनेक राजाओं के शासन के पश्चात् राजा धृत का पुत्र धृतराज हुआ । इसकी तीन रानियां थी । अंबिका, अंबालिका और अंबा । इनमें अंबिका से धृतराष्ट्र, अंबालिका से पांडु और अंबा से विदुर उत्पन्न हुए । राजा धृतराष्ट्र के दुर्योधन आदि सौ पुत्र थे । ये कौरव कहलाये और राजा पांडु के युधिष्ठिर आदि पांच पुत्र थे । कौरव होते हुए भी ये पांडव कहलाये । राज्य को लेकर पांडव और कौरवों में परस्पर विरोध हो गया । फलत: यह राज्य दो भागों में विभाजित हो गया । हरिवंशपुराण - 45.1-7,हरिवंशपुराण - 45.32-40, पांडवपुराण 4.2-10