जिनदास: Difference between revisions
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<li> आयुर्वेद के | <li> आयुर्वेद के पंडित। कृतियें–हेलीरेणुका चरित, ज्ञानसूर्योदय। वि.1600-1650 (ई.1543-1593)। (ती./4/83)। </li> | ||
<li> मराठी के प्रथम ज्ञात कवि। भुवनकीर्ति के शिष्य। कृति–हरिवंश पुराण। समय वि.1778-1797 (ई.1721-1740) (ती./4/318)। </li> | <li> मराठी के प्रथम ज्ञात कवि। भुवनकीर्ति के शिष्य। कृति–हरिवंश पुराण। समय वि.1778-1797 (ई.1721-1740) (ती./4/318)। </li> | ||
<li> स्वर्गगत मित्र से प्राप्त आकाशगामी विद्या सेठ सोमदत्त को दी। (वृहद कथा कोष/4)। </li> | <li> स्वर्गगत मित्र से प्राप्त आकाशगामी विद्या सेठ सोमदत्त को दी। (वृहद कथा कोष/4)। </li> | ||
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<p id="1"> (1) भद्रिलपुर नगर का निवासी एक सेठ । यह धनदत्त और उसकी पत्नी | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भद्रिलपुर नगर का निवासी एक सेठ । यह धनदत्त और उसकी पत्नी नंदयशा का पाँचवी पुत्र था । यह अपने सभी भाई तथा पिता के साथ गुरु सुमंदर के पास दीक्षित हो गया था । ये सभी मरकर अमृत स्वर्ग गये और आगे वसुदेव के भाई हुए । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#111|हरिवंशपुराण - 18.111-124]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) मथुरा का निवासी एक सेठ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 49 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) मथुरा का निवासी एक सेठ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#49|हरिवंशपुराण - 33.49]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक विद्वान् । इसने सिंहपुरवासी सोम नामक दुष्ट परिव्राजक को वाद-विवाद में पराजित किया था । पोदनपुर के राजा श्रीविजय के सातवें दिन मरने की भविष्यवाणी के प्रसंग में इस विद्वान् का नाम आया है । <span class="GRef"> पांडवपुराण 4.117 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) एक विद्वान् । इसने सिंहपुरवासी सोम नामक दुष्ट परिव्राजक को वाद-विवाद में पराजित किया था । पोदनपुर के राजा श्रीविजय के सातवें दिन मरने की भविष्यवाणी के प्रसंग में इस विद्वान् का नाम आया है । <span class="GRef"> पांडवपुराण 4.117 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- नंदि संघ बलात्कार गण ईडरगद्दी सकलकीर्ति के शिष्य एक मुनि। कृतियें–जंबू स्वामी चरित, राम चरित, हरिवंश पुराण, पुष्पांजलिव्रत कथा: जलयात्रा विधि, सार्द्ध द्वय द्वीप पूजा, सप्तर्षि पूजा; ज्येष्ठ जिनवर पूजा, गुरु पूजा, अनंतव्रत पूजा। वि.1450-1525 (ई.1393-1468)। (ती./3/338)।
- आयुर्वेद के पंडित। कृतियें–हेलीरेणुका चरित, ज्ञानसूर्योदय। वि.1600-1650 (ई.1543-1593)। (ती./4/83)।
- मराठी के प्रथम ज्ञात कवि। भुवनकीर्ति के शिष्य। कृति–हरिवंश पुराण। समय वि.1778-1797 (ई.1721-1740) (ती./4/318)।
- स्वर्गगत मित्र से प्राप्त आकाशगामी विद्या सेठ सोमदत्त को दी। (वृहद कथा कोष/4)।
पुराणकोष से
(1) भद्रिलपुर नगर का निवासी एक सेठ । यह धनदत्त और उसकी पत्नी नंदयशा का पाँचवी पुत्र था । यह अपने सभी भाई तथा पिता के साथ गुरु सुमंदर के पास दीक्षित हो गया था । ये सभी मरकर अमृत स्वर्ग गये और आगे वसुदेव के भाई हुए । हरिवंशपुराण - 18.111-124
(2) मथुरा का निवासी एक सेठ । हरिवंशपुराण - 33.49
(3) एक विद्वान् । इसने सिंहपुरवासी सोम नामक दुष्ट परिव्राजक को वाद-विवाद में पराजित किया था । पोदनपुर के राजा श्रीविजय के सातवें दिन मरने की भविष्यवाणी के प्रसंग में इस विद्वान् का नाम आया है । पांडवपुराण 4.117