नरपति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तीर्थंकर नेमिनाथ के तीर्थ में हुए राजा यदु का पुत्र । इसके दो पुत्र थे― शूर और सुवीर । यह अपने पुत्रों को राज्य सौंपकर तप करने लगा था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.7-8 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीर्थंकर नेमिनाथ के तीर्थ में हुए राजा यदु का पुत्र । इसके दो पुत्र थे― शूर और सुवीर । यह अपने पुत्रों को राज्य सौंपकर तप करने लगा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#7|हरिवंशपुराण - 18.7-8]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) शिल्पपुर नगर का राजा, रतिविमला का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 47. 144-145 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) शिल्पपुर नगर का राजा, रतिविमला का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 47. 144-145 </span></p> | ||
<p id="3">(3) वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ एक नृप । उत्कृष्ट तपश्चरण करते हुए मरकर यह मध्यम ग्रैवेयक में अहमिंद्र हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 61.89-90 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ एक नृप । उत्कृष्ट तपश्चरण करते हुए मरकर यह मध्यम ग्रैवेयक में अहमिंद्र हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 61.89-90 </span></p> | ||
<p id="4">(4) तालपुरनगर का राजा, तीर्थंकर मनिसुव्रतनाथ के यागहस्ती का जीव । यह पात्र-अपात्र की विशेषता से अनभिज्ञ था । यह किमिच्छक दान देने से हाथी हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 67.34-35 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) तालपुरनगर का राजा, तीर्थंकर मनिसुव्रतनाथ के यागहस्ती का जीव । यह पात्र-अपात्र की विशेषता से अनभिज्ञ था । यह किमिच्छक दान देने से हाथी हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 67.34-35 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
(महापुराण/61/89-90) मघवान चक्रवर्ती का पूर्व का दूसरा भव है। यह उत्कृष्ट तपश्चरण के कारण मध्यम ग्रैवेयक में अहमिंद्र उत्पन्न हुआ था।
पुराणकोष से
तीर्थंकर नेमिनाथ के तीर्थ में हुए राजा यदु का पुत्र । इसके दो पुत्र थे― शूर और सुवीर । यह अपने पुत्रों को राज्य सौंपकर तप करने लगा था । हरिवंशपुराण - 18.7-8
(2) शिल्पपुर नगर का राजा, रतिविमला का पिता । महापुराण 47. 144-145
(3) वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ एक नृप । उत्कृष्ट तपश्चरण करते हुए मरकर यह मध्यम ग्रैवेयक में अहमिंद्र हुआ था । महापुराण 61.89-90
(4) तालपुरनगर का राजा, तीर्थंकर मनिसुव्रतनाथ के यागहस्ती का जीव । यह पात्र-अपात्र की विशेषता से अनभिज्ञ था । यह किमिच्छक दान देने से हाथी हुआ था । महापुराण 67.34-35