पद्मासन: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= जंघा का दूसरी जंघा के मध्य भाग से मिल जाने पर पद्मासन हुआ करता है। इस आसन में बहुत सुख होता है, और समस्त लोक इसे बड़ी सुगमता से धारण कर सकते हैं।</p> | |||
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<p id="2">(2) तीर्थंकर विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>60. 153 <span class="GRef"> पद्मपुराण </span>के अनुसार विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम नलिनगुल्म हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण </span>20. 21</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>60. 153 <span class="GRef"> पद्मपुराण </span>के अनुसार विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम नलिनगुल्म हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण </span>20. 21</p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
अनगार धर्मामृत अधिकार 8/83 में उद्धृत `जंघाया जंघाया श्लिष्टे मध्यभागे प्रकीर्तितम्। पद्मासन' सुखाधायि सुसाध्यं सकलैर्जनैः।
= जंघा का दूसरी जंघा के मध्य भाग से मिल जाने पर पद्मासन हुआ करता है। इस आसन में बहुत सुख होता है, और समस्त लोक इसे बड़ी सुगमता से धारण कर सकते हैं।
आसन संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें आसन ।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर अनंतनाथ के पूर्वजन्म का नाम । पद्मपुराण 20. 24 हरिवंशपुराण के अनुसार तीर्थंकर अनंतनाथ के पूर्वजन्म का नाम पद्म है । हरिवंशपुराण 60.153
(2) तीर्थंकर विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम । हरिवंशपुराण 60. 153 पद्मपुराण के अनुसार विमलनाथ के पूर्वजन्म का नाम नलिनगुल्म हैं । पद्मपुराण 20. 21