पांचजन्य: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) पंचमुखी शंख । यह लक्ष्मण को प्राप्त रत्नों में एक रत्न था । <span class="GRef"> महापुराण 68.676-677 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) पंचमुखी शंख । यह लक्ष्मण को प्राप्त रत्नों में एक रत्न था । <span class="GRef"> महापुराण 68.676-677 </span></p> | ||
<p id="2">(2) कंस के यहाँ प्रकट हुआ एक शंख । इस शंख की मेघ के समान गर्जना होती थी । कंस से ही यह शंख कृष्ण को प्राप्त हुआ था । यह उनके सात रत्नों में एक रत्न था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.112, 35. 72, 53. 49.50, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22.4 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) कंस के यहाँ प्रकट हुआ एक शंख । इस शंख की मेघ के समान गर्जना होती थी । कंस से ही यह शंख कृष्ण को प्राप्त हुआ था । यह उनके सात रत्नों में एक रत्न था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#112|हरिवंशपुराण - 1.112]], 35. 72, 53. 49.50, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22.4 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
(1) पंचमुखी शंख । यह लक्ष्मण को प्राप्त रत्नों में एक रत्न था । महापुराण 68.676-677
(2) कंस के यहाँ प्रकट हुआ एक शंख । इस शंख की मेघ के समान गर्जना होती थी । कंस से ही यह शंख कृष्ण को प्राप्त हुआ था । यह उनके सात रत्नों में एक रत्न था । हरिवंशपुराण - 1.112, 35. 72, 53. 49.50, पांडवपुराण 22.4