महाभिषेक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तीर्थंकरों का जन्माभिषेक । इंद्राणी प्रसूतिगृह में जाकर मायामय शिशु तीर्थंकर की माता के पास सुला देती है और तीर्थंकर को वहाँ से बाहर लाकर इंद्र को सौंपती है । इंद्र जिन-शिशु को ऐरावत हाथी पर बैठाकर सुमेरु पर्वत ले जाता है और वहाँ पांडुक शिला पर विराजमान करता है तथा हाथों हाथ लाये गये क्षीरसागर के जल से जिनशिशु का अभिषेक करता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 38.39-48 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीर्थंकरों का जन्माभिषेक । इंद्राणी प्रसूतिगृह में जाकर मायामय शिशु तीर्थंकर की माता के पास सुला देती है और तीर्थंकर को वहाँ से बाहर लाकर इंद्र को सौंपती है । इंद्र जिन-शिशु को ऐरावत हाथी पर बैठाकर सुमेरु पर्वत ले जाता है और वहाँ पांडुक शिला पर विराजमान करता है तथा हाथों हाथ लाये गये क्षीरसागर के जल से जिनशिशु का अभिषेक करता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_38#39|हरिवंशपुराण - 38.39-48]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पं. आशाधर जी (ई. 1173-1243) कृत ‘नित्य महोद्योत’ पर आ. श्रुतसागर (ई. 1481-1499) कृत महाभिषेक नामक एक टीका ग्रंथ।
पुराणकोष से
तीर्थंकरों का जन्माभिषेक । इंद्राणी प्रसूतिगृह में जाकर मायामय शिशु तीर्थंकर की माता के पास सुला देती है और तीर्थंकर को वहाँ से बाहर लाकर इंद्र को सौंपती है । इंद्र जिन-शिशु को ऐरावत हाथी पर बैठाकर सुमेरु पर्वत ले जाता है और वहाँ पांडुक शिला पर विराजमान करता है तथा हाथों हाथ लाये गये क्षीरसागर के जल से जिनशिशु का अभिषेक करता है । हरिवंशपुराण - 38.39-48