माहेंद्र: Difference between revisions
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<p id="2">(2) तीर्थंकर वृषभदेव के उन्नीसवें गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.58 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर वृषभदेव के उन्नीसवें गणधर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_12#58|हरिवंशपुराण - 12.58]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) देवों से सेवित एक विद्यास्त्र । वैरोचन शस्त्र और समोरास्त्र इसका निवारक होता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 74.100-101, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.46-47 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) देवों से सेवित एक विद्यास्त्र । वैरोचन शस्त्र और समोरास्त्र इसका निवारक होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_74#100|पद्मपुराण - 74.100-101]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_25#46|हरिवंशपुराण - 25.46-47]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- स्वर्गों में चौथा कल्प -देखें स्वर्ग - 3,।
- कुंडल पर्वत का एक कूट। –देखें लोक - 5.12।
पुराणकोष से
(1) चौथा स्वर्ग । महापुराण 7.11, 61-65, पद्मपुराण - 105.166-167, हरिवंशपुराण - 6.36
(2) तीर्थंकर वृषभदेव के उन्नीसवें गणधर । हरिवंशपुराण - 12.58
(3) देवों से सेवित एक विद्यास्त्र । वैरोचन शस्त्र और समोरास्त्र इसका निवारक होता है । पद्मपुराण - 74.100-101, हरिवंशपुराण - 25.46-47