मित्रवती: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) चंपापुरी के निवासी सर्वार्थ और उसकी स्त्री सुमित्रा की पुत्री । यह इसी नगरी के राजा भानुदत्त के पुत्र चारुदत्त की | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) चंपापुरी के निवासी सर्वार्थ और उसकी स्त्री सुमित्रा की पुत्री । यह इसी नगरी के राजा भानुदत्त के पुत्र चारुदत्त की पत्नी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_21#6|हरिवंशपुराण - 21.6]], 11, 38 </span></p> | ||
<p id="2">(2) मृत्तिकावती नगरी के वणिक् कनक की पुत्रवधू और बंधुदत्त की पत्नी । गुप्तरूप से पति के साथ सहवास करने से गर्भवती हो जाने के कारण सास-ससुर ने इसे दुश्चरित्रा समझकर घर से निकाल दिया था । देवार्चक उपवन में पुत्र उत्पन्न कर तथा उसे रत्न-कंबल में लपेटकर यह समीपवर्ती एक सरोवर में वस्त्र धोने गयी थी कि इसी बीच इसके पुत्र को एक कुत्ता उठा ले गया । कुत्ते ने शिशु ले जाकर क्रौंचपुर के राजा यक्ष को दिया । यक्ष ने इसके उस पुत्र का नाम ‘‘यक्षदत्त’’ रखा । यह पुत्र के न मिलने से दु:खी होती हुई उपवन के स्वामी देवाचँक की कुटी में रहने लगी । कुछ समय बाद इसकी पति और पुत्र दोनों से भेंट हो गयी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 80.43-53, 59 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) मृत्तिकावती नगरी के वणिक् कनक की पुत्रवधू और बंधुदत्त की पत्नी । गुप्तरूप से पति के साथ सहवास करने से गर्भवती हो जाने के कारण सास-ससुर ने इसे दुश्चरित्रा समझकर घर से निकाल दिया था । देवार्चक उपवन में पुत्र उत्पन्न कर तथा उसे रत्न-कंबल में लपेटकर यह समीपवर्ती एक सरोवर में वस्त्र धोने गयी थी कि इसी बीच इसके पुत्र को एक कुत्ता उठा ले गया । कुत्ते ने शिशु ले जाकर क्रौंचपुर के राजा यक्ष को दिया । यक्ष ने इसके उस पुत्र का नाम ‘‘यक्षदत्त’’ रखा । यह पुत्र के न मिलने से दु:खी होती हुई उपवन के स्वामी देवाचँक की कुटी में रहने लगी । कुछ समय बाद इसकी पति और पुत्र दोनों से भेंट हो गयी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_80#43|पद्मपुराण - 80.43-53]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_80#59|पद्मपुराण - 80.59]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
(1) चंपापुरी के निवासी सर्वार्थ और उसकी स्त्री सुमित्रा की पुत्री । यह इसी नगरी के राजा भानुदत्त के पुत्र चारुदत्त की पत्नी थी । हरिवंशपुराण - 21.6, 11, 38
(2) मृत्तिकावती नगरी के वणिक् कनक की पुत्रवधू और बंधुदत्त की पत्नी । गुप्तरूप से पति के साथ सहवास करने से गर्भवती हो जाने के कारण सास-ससुर ने इसे दुश्चरित्रा समझकर घर से निकाल दिया था । देवार्चक उपवन में पुत्र उत्पन्न कर तथा उसे रत्न-कंबल में लपेटकर यह समीपवर्ती एक सरोवर में वस्त्र धोने गयी थी कि इसी बीच इसके पुत्र को एक कुत्ता उठा ले गया । कुत्ते ने शिशु ले जाकर क्रौंचपुर के राजा यक्ष को दिया । यक्ष ने इसके उस पुत्र का नाम ‘‘यक्षदत्त’’ रखा । यह पुत्र के न मिलने से दु:खी होती हुई उपवन के स्वामी देवाचँक की कुटी में रहने लगी । कुछ समय बाद इसकी पति और पुत्र दोनों से भेंट हो गयी थी । पद्मपुराण - 80.43-53,पद्मपुराण - 80.59