रजतप्रभ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> कुंडलगिरि की दक्षिण दिशा का दूसरा कूट । यही पद्मोत्तर देव रहता है । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 5. 691) </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कुंडलगिरि की दक्षिण दिशा का दूसरा कूट । यही पद्मोत्तर देव रहता है । <span class="GRef"> ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#691|हरिवंशपुराण - 5.691]]) </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
कुंडलगिरि की दक्षिण दिशा का दूसरा कूट । यही पद्मोत्तर देव रहता है । (हरिवंशपुराण - 5.691)