वज्रवृषभनाराच: Difference between revisions
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<p> एक संहनन । इससे शरीर वज्रमय हड्डियों से रचित, वज्रमय वेष्टनों से वेष्टित और वज्रमय कीलों से कीलित होता है । तीर्थंकर इस संहनन के धारी होते हैं । इसका अपर नाम वज्रनाराच संहनन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.175, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 9.62 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक संहनन । इससे शरीर वज्रमय हड्डियों से रचित, वज्रमय वेष्टनों से वेष्टित और वज्रमय कीलों से कीलित होता है । तीर्थंकर इस संहनन के धारी होते हैं । इसका अपर नाम वज्रनाराच संहनन है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_8#175|हरिवंशपुराण - 8.175]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 9.62 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
एक संहनन । इससे शरीर वज्रमय हड्डियों से रचित, वज्रमय वेष्टनों से वेष्टित और वज्रमय कीलों से कीलित होता है । तीर्थंकर इस संहनन के धारी होते हैं । इसका अपर नाम वज्रनाराच संहनन है । हरिवंशपुराण - 8.175, वीरवर्द्धमान चरित्र 9.62