वज्रवृषभनाराच
From जैनकोष
एक संहनन । इससे शरीर वज्रमय हड्डियों से रचित, वज्रमय वेष्टनों से वेष्टित और वज्रमय कीलों से कीलित होता है । तीर्थंकर इस संहनन के धारी होते हैं । इसका अपर नाम वज्रनाराच संहनन है । हरिवंशपुराण - 8.175, वीरवर्द्धमान चरित्र 9.62